कवियित्री वर्षा यलचलवार यांची कविता

कवयित्री वर्षा यलचलवार
या विदर्भ 24 न्युज पोर्टलच्या
वार्ताहर पण आहेत.
मुश्किले कितनीभी बडी हो हासील तो हो जाती है
अंधेरा कितनाभी घना हो
दिया तो जलाना पडता है
कितनी भी आये मुस्किले
हिम्मत के साथ चलना पडता है
कोशिशो के रास्तो पे
चलते-चलते, एक दिन
मंजिल तो मिल जाती है
सदाही चलते रहे तो
ख्वाईशे पुरी हो जाती है
हिम्मत से काम लेना है
कूच बन कर दिखाना है
पर याद रखो तुम हमेशा
जहा हिम्मत हार दी
समझो वही रुके रहना
बुरे दौर को मैने बदलते देखा है
पर्वतो को भी बदलते देखा है
मंजिल मिलती आत्मविश्वास से
समय गावही देता है संघर्शोके इतिहास से
मन मे सोचा जो आपने
कूच बन कर दिखाना है
तकलीफे तो लागी राहती है
अच्छाईहै की,उसको ठुकराने मे
मेहनत करो लगण से
सफलता तो एक दिन
कदम चुमेगी तुम्हारे
खुद्के हि आत्मविश्वास से